एक है गड़बड़झालू, खाके आलू बना है चालू। जब गाता है तो उसके गाने पे नाचता है डमरू भालू। गड़बड़झालू है एक चालाक बंदर। जानता है चलाना राजा शेरु पर मंतर। पेनतेरे चलाता है खाने के लिये सीता खरगोशनी के गोभी और फिर मार भी खाता है जम्बो हाथी से क्यूंकि है वो बहुत लोभी। गड़बड़ी में खास है इनका हाथ कभी कोई सीधा ना करे काम ना बात। जब देखे की चंपक वन के आमों को तोड़ते हुए चोरी से जाता है पकड़ तो घुमाता है सूयर भाई को बोलके की वो तो है एक आमों का साइअन्टिस्ट इन चक्कर। बंदरलाल को सिर्फ है गुलगुलिया बंदरणी से प्यार। मगर जानता नहीं कब वो चोनगु चिमपंजी को छोड़ उसके दिल के गार्डन में लाएगी बहार। चाहता है ज़माना प्यार की दही मगर कोई उसको अच्छा समझता ही नहीं। एक दिन चला सिलाने शेरवानी चुराकर गोगू भालू के कपड़े। मगर गाने लगा सीताराम सीताराम जब लगे पचास घूंसे और एक सौ थपपड़ें। जब फिर गया एक दिन करने योगा तो मार लिया उसने पॉकेट पाँच सौ वाली जिसपर डोगा जूडो कराटे चैम्पीयन से नहीं मिला जितने पर एक मेडल और 150 गाली। गड़बड़ की बंदर ने जब जाना था लेकर टोटो बिल्ली मौसी की बच्ची झोंकी को स्कूल। उल्टा पहुंचा गया उसे कुत्ता फौज के स्विमिंग पूल। फिर जब बोला लाने को तारक तूरक कुकुरमुत्ते ने मछली एक किलो ले आया गड़बड़ एक अनोखा जानवर जिसे कहते हैं आर्मडिलो। गड़बड़ ने पहचान लिया पिताजी झरझर को दादा हरहर और इसी पे फिर मची डबल गड़बड़ जब बेटे चरफर को समझ लिया दुश्मन की औलाद जिगर। मारा पीटा उसने उसे खूब और जब लगा वो रोने जोर लगा के तो भागा गड़बड़ बिना खटपटिया तमटोलिया अपनी गाड़ी की ब्रेक दबा के। गड़बड़ की एक पत्नी है एक जिसका नाम है सुंदरी सारिका मगर मार खाता है बेलन के पचास जब उसके सामने तारीफ करता है देखकर फोटो ऑफ बॉलीवुड तारिका। गड़बड़ को लगता है वो हनुमानजी का एक रूप धरती पे इसलिए पहुँच जाता है बिना तैयारी अखारा करने हाथी राजा से कुश्ती करते हुए हो हो ही ही। गड़बड़ को जब पसंद आया गाजर का हलवा तो बजाय चाटने के हाथ चाटने लगा अपना तलवा। और जब चला बनाने हलवा तो पर गयी गलती से उसमे नमक और काली मिर्च खाकर जिससे हुआ उसका बेरागर्क। मगर उसे पड़ा नहीं कोई फरक। फिर भी हमेशा हँसता है गड़बड़। खाना पसंद है इडली सांभर। मगर एक दिन जब किसी की पार्टी में उसने मचाई चिल्लपों और खा गया खाना सारा तो मार पड़े उसे सात जानवर। गड़बड़ के नाम ने उसे बनाया है मशहूर। मगर अब वो है इससे परेशान। सोचता है अकलमंद बलबीरचंद बनकर बनाऊँ अपनी पहचान।
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